"आईना "
November, 2005
अगर स्वप्न है यह आपका, हम हक़ीकत बनायेंगे
नवीन भारत के विज्ञानी , हममे से आएंगे
सोचते हैं अगर, आत्म-निर्भर राष्ट्र बनाना है
रास्ता जो दिखाया, आंख मूंद पार कर जायंगे
दुर्भाग्य है पर, इस धरा का शायद
न स्वप्न, द्रष्टि न सोच दी है - दिया है लालच प्यास,भूक दी है
लज्जा हीन हुए इतने, रुदन हंसीं बताते हैं
ढूँढकर मोका, मूर्ख बनाते हैं
दूरदर्शी कहूँगा आपको, यह प्रक्रम बनाया
किया सुसज्जित, विशिष्ट व्यक्तियों को बेठाया
न जाने क्यों, शुरुवात हुई पर एक अविजित अंधकार की
और जलाने थे जब, आशाओं के दीपक , शिक्षा मिली हमको सरकारी व्यव्हार की
शब्द नहीं मानो, यह कटु मदिरा धार है
इन विचारों में मधुमय विष अपार है
सत्य से अन्भिग्ये , हैं विवेक रहित
है क्या परिस्थिथी कैसे हैं अपरिचित
शिक्षा की आढ़ में, किसे धोका दे रहे हैं
आप इस राष्ट्र का भविष्य खो रहे हैं
जागो अभी, नहीं तो फिर कब जागोगे
है बन्धन अगर कोई, फिर कब काटोगे
जो दे सके इस राष्ट्र को सम्मान और पराक्रम
ऐसी क्रान्ति का आज भी इन्तजार है .
November, 2005
अगर स्वप्न है यह आपका, हम हक़ीकत बनायेंगे
नवीन भारत के विज्ञानी , हममे से आएंगे
सोचते हैं अगर, आत्म-निर्भर राष्ट्र बनाना है
रास्ता जो दिखाया, आंख मूंद पार कर जायंगे
दुर्भाग्य है पर, इस धरा का शायद
न स्वप्न, द्रष्टि न सोच दी है - दिया है लालच प्यास,भूक दी है
लज्जा हीन हुए इतने, रुदन हंसीं बताते हैं
ढूँढकर मोका, मूर्ख बनाते हैं
दूरदर्शी कहूँगा आपको, यह प्रक्रम बनाया
किया सुसज्जित, विशिष्ट व्यक्तियों को बेठाया
न जाने क्यों, शुरुवात हुई पर एक अविजित अंधकार की
और जलाने थे जब, आशाओं के दीपक , शिक्षा मिली हमको सरकारी व्यव्हार की
शब्द नहीं मानो, यह कटु मदिरा धार है
इन विचारों में मधुमय विष अपार है
सत्य से अन्भिग्ये , हैं विवेक रहित
है क्या परिस्थिथी कैसे हैं अपरिचित
शिक्षा की आढ़ में, किसे धोका दे रहे हैं
आप इस राष्ट्र का भविष्य खो रहे हैं
जागो अभी, नहीं तो फिर कब जागोगे
है बन्धन अगर कोई, फिर कब काटोगे
जो दे सके इस राष्ट्र को सम्मान और पराक्रम
ऐसी क्रान्ति का आज भी इन्तजार है .