जब कभी
Ankit Bansal
September 2013
अक्सर निराशा ही मिली है
जब जब कोशिश की है
तुझे पाने की पास आने की
हर ख़ुशी कम लगी
जब जब हसने की तमन्ना हुई है
कभी अश्क न छलके आँखों से
कभी गम की कमी लगी है
फस गए कभी चंद सवालों म़ें
कभी जवाबो से हार हुई है
कभी मिली निराशा अपनों से
दुश्मनों की कभी जरूरत लगी है
गम ने हमको अपना बनाया
कभी खुशियों ने बेगाना किया है
कभी प्यार भी गले से न उतरा
जहर पीकर कभी ज़िन्दगी बची है
भागते गए रास्तों पर सदा बेखोफ
तो उम्मीद लगी कभी पकड़ ले ऊँगली कोई
डर न था मौत से यूँ तो
पर कभी जिंदगी भयानक लगी है
रास्ते के पत्थर अच्छे लगते थे कभी
आज चाँद में दाग दीखता है
कल तमन्ना थी उसका विश्वास पाने की
आज खुद पर भी यकीं नहीं है
उड़ते थे आसमान में हम
कभी जमीं भी दल दल हुई है
आकर संभाल लो हमें तुम
अब हमें खुद पर यकीं नहीं है
कभी सोते थे तेरे दामन में
आज आँखों में नींद नहीं है
Ankit Bansal
September 2013
अक्सर निराशा ही मिली है
जब जब कोशिश की है
तुझे पाने की पास आने की
हर ख़ुशी कम लगी
जब जब हसने की तमन्ना हुई है
कभी अश्क न छलके आँखों से
कभी गम की कमी लगी है
फस गए कभी चंद सवालों म़ें
कभी जवाबो से हार हुई है
कभी मिली निराशा अपनों से
दुश्मनों की कभी जरूरत लगी है
गम ने हमको अपना बनाया
कभी खुशियों ने बेगाना किया है
कभी प्यार भी गले से न उतरा
जहर पीकर कभी ज़िन्दगी बची है
भागते गए रास्तों पर सदा बेखोफ
तो उम्मीद लगी कभी पकड़ ले ऊँगली कोई
डर न था मौत से यूँ तो
पर कभी जिंदगी भयानक लगी है
रास्ते के पत्थर अच्छे लगते थे कभी
आज चाँद में दाग दीखता है
कल तमन्ना थी उसका विश्वास पाने की
आज खुद पर भी यकीं नहीं है
उड़ते थे आसमान में हम
कभी जमीं भी दल दल हुई है
आकर संभाल लो हमें तुम
अब हमें खुद पर यकीं नहीं है
कभी सोते थे तेरे दामन में
आज आँखों में नींद नहीं है