Ankit Bansal
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पहचान
Ankit Bansal
Date: Jul 2010
आँखों में बसा , दृश्य नहीं
एहसास एक, स्पर्श नहीं
पथिक
हूँ, कोई नाम नहीं
सोच नहीं , सवाल नहीं - मेरी कोई पहचान नहीं
निमित्त मात्र, कर्ता नहीं
जलता हूँ, प्रकाश नहीं
दीपक तेल बाती नहीं
हूँ तो क्या , नहीं तो क्या नहीं
संग खेला दोडा, मित्र नहीं
बचपन नहीं, जवान नहीं
माता, पिता शिक्षक नहीं
स्त्री पुरुष समाज नहीं- मैं नहीं, तू नहीं
एहसास प्रेम का, इश्क नहीं
भावों की पंक्तियाँ , कोई कवि नहीं
दामन भिगोये जो - वो अश्क नहीं
मंजिल नहीं, मार्ग नहीं
भाव दूषित, निर्बल नहीं
करुना नहीं, घृणा नहीं
आशा, भय, ज्ञान नहीं
मिथ्या हूँ, भिन्न सत्य से पर नहीं
सुबह धूप - शाम
छाँव
नहीं
स्वप्न
दिन का
, रात खाब नहीं
जीवन संग चला
हूँ
,
चक्र
समय
- कल आज नहीं
हूँ बस , मेरी कोई पहचान नहीं
पथिक हूँ
बस
, साथ कुछ पल
ताना एक, बिखरे जाल का
अलग
इससे
निशान नहीं
हूँ बस , मेरी कोई पहचान नहीं